INR (₹)
India Rupee
$
United States Dollar

पश्चिम बंगाल का फुल्लरा देवी शक्तिपीठ – कछुए के आकार के पत्थर में बसी देवी सती की दिव्यता

Created by Asttrolok in Astrology 8 Oct 2025
Share
Views: 77
पश्चिम बंगाल का फुल्लरा देवी शक्तिपीठ – कछुए के आकार के पत्थर में बसी देवी सती की दिव्यता

भारत की भूमि देवी सती की ऊर्जा से आलोकित है, और उन 51 शक्तिपीठों में से एक है फुल्लरा देवी शक्तिपीठ, जो पश्चिम बंगाल के लाभपुर (जिला बीरभूम) में स्थित है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमयी ऊर्जा हर आगंतुक को मंत्रमुग्ध कर देती है। इस पवित्र स्थल की विशेषता यह है कि यहाँ देवी सती का निचला होंठ गिरा था, और माता की मूर्ति कछुए के आकार के पत्थर में विराजमान है।


फुल्लरा देवी शक्तिपीठ का पौराणिक इतिहास

कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया था, तब देवी सती ने यज्ञ अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। व्यथित भगवान शिव ने सती का शरीर उठाकर तांडव किया, जिससे सृष्टि में संतुलन बिगड़ गया। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित किया, और जहाँ-जहाँ उनके अंग गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

फुल्लरा देवी शक्तिपीठ वह स्थान है जहाँ देवी सती का अधर (निचला होंठ) गिरा था। इसी कारण यहाँ देवी का नाम “फुल्लरा देवी” पड़ा — ‘फुल्लरा’ शब्द संस्कृत के “फुल्ल” यानी “खिला हुआ” से जुड़ा है, जो देवी की मधुरता और वाणी की शक्ति का प्रतीक है। यहाँ भगवान शिव “विश्वेश्वर” रूप में पूजे जाते हैं।


मंदिर की विशेषता और अनुष्ठान

मंदिर के गर्भगृह में एक प्राकृतिक कछुए के आकार का पत्थर है, जिसे देवी सती का प्रतीक माना जाता है। भक्तजन इस पत्थर को “मां फुल्लरा” का साक्षात रूप मानते हैं। यह आकृति बिना किसी मानव हस्तकला के बनी हुई है, जो इस स्थान की दिव्यता को और बढ़ाती है।

नवरात्रि, माघ पूर्णिमा, और अमावस्या के दिनों में यहाँ विशेष पूजा होती है। भक्त ‘कछुआ दर्शन’ करते हैं और देवी के चरणों में दीप प्रज्वलित कर मौन व्रत रखते हैं। यह माना जाता है कि यहाँ की पूजा से वाणी में मधुरता, गृह में शांति और जीवन में सौभाग्य प्राप्त होता है।


ज्योतिषीय दृष्टि से फुल्लरा शक्तिपीठ का महत्व

फुल्लरा शक्तिपीठ सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि ज्योतिषीय संतुलन का केंद्र भी है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष के लक्षण दिखाई देते हैं, उनके लिए यहाँ दर्शन अत्यंत शुभ माना गया है। यहाँ देवी की आराधना करने से राहु-केतु के दुष्प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता आती है।

राहु काल में यहाँ पूजा करने से नकारात्मकता दूर होती है और मानसिक शांति मिलती है। वास्तु शास्त्र हिंदी में बताया गया है कि कछुए का आकार धैर्य, सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक होता है, और यही कारण है कि फुल्लरा देवी मंदिर का यह आकार शुभ फल प्रदान करता है।

यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली इन हिंदी में कौन से ग्रह शुभ या अशुभ फल दे रहे हैं, तो आप ज्योतिष परामर्श के माध्यम से अपने जीवन की दिशा जान सकते हैं। वहीं ऑनलाइन ज्योतिष कोर्स से आप खुद ज्योतिष की गहराई को समझ सकते हैं, और पर्सनलाइज्ड कुंडली सेवा से अपनी जन्म कुंडली विस्तार से प्राप्त कर सकते हैं।


फुल्लरा देवी शक्तिपीठ यात्रा गाइड

कैसे पहुँचे:


  • रेल मार्ग से: निकटतम रेलवे स्टेशन लाभपुर स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर है।

  • सड़क मार्ग से: बोलपुर-शांतिनिकेतन और दुर्गापुर से सीधी बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।

  • हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता (नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट) है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर मंदिर पहुँचा जा सकता है।

क्या देखें:


  • फुल्लरा देवी का मुख्य मंदिर और कछुए के आकार का पवित्र पत्थर

  • पास में स्थित “विश्वेश्वर महादेव मंदिर”

  • मंदिर परिसर में “कंठ सरोवर” नामक छोटा तालाब

  • शांतिनिकेतन (केवल 30 किमी दूर) – जहाँ आप अपनी यात्रा को और आध्यात्मिक बना सकते हैं

यात्रा टिप्स:


  • सुबह 6 से 9 बजे का समय दर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

  • यात्रा से पहले राहु काल का समय देखकर निकलें।

  • मंदिर परिसर में कैमरा और मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति सीमित है, इसलिए पहले जानकारी प्राप्त करें।


फुल्लरा शक्तिपीठ और आधुनिक जीवन का संबंध

आज के समय में जहाँ तनाव और अस्थिरता ने जीवन को प्रभावित किया है, वहीं फुल्लरा देवी की आराधना मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करती है। वास्तु शास्त्र हिंदी में कहा गया है कि यदि घर में कछुए का प्रतीक रखा जाए तो सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। उसी प्रकार, फुल्लरा शक्तिपीठ का दर्शन आपके जीवन में शुभ ऊर्जा का संचार करता है।

अगर आपको यह जानना है कि “मेरी राशि क्या है” या आने वाले समय का भविष्यफल कैसा रहेगा, तो ज्योतिषीय दृष्टि से फुल्लरा देवी की आराधना और कुंडली का विश्लेषण जीवन की दिशा को स्पष्ट कर सकता है।


निष्कर्ष – जब श्रद्धा बनती है स्थिरता की शक्ति

फुल्लरा देवी शक्तिपीठ केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि यह एक ऊर्जा केंद्र है जहाँ श्रद्धा, भक्ति और ज्योतिष का संगम होता है। देवी का कछुए के आकार का स्वरूप हमें सिखाता है कि स्थिरता में ही शक्ति है। जब व्यक्ति अपने भीतर के असंतुलन को पहचानकर देवी की शरण में आता है, तो जीवन में स्थायित्व, सफलता और शांति स्वतः आ जाती है।


यह भी पढ़ें: नलहाटी शक्तिपीठ दर्शन: ज्योतिष और भक्ति का अनोखा अनुभव


Comments (0)

Asttrolok

Asttrolok

Admin

Consultants

Pt. Adarsh Vashisht

Pt. Adarsh Vashisht

Vedic Astrology Hindi, English Exp: 35+ years
Dr.MilanSolanki

Dr.MilanSolanki

Astrology&Ayurveda 4+ Year Exp. Hindi, English
Pranjali Khatawkar

Pranjali Khatawkar

Astrology
Shobha Desai

Shobha Desai

Astrology Hindi, English Exp: 2+ Year
Riitu Dua

Riitu Dua

Astrology Hindi, English Exp: 3+ Year
Nikieta Dhanaani

Nikieta Dhanaani

Astrology, Numerology Hindi Exp: 4+ Year
Anju Sharma

Anju Sharma

Astrology Hindi, English Exp: 8+ Year
Ritu tuli

Ritu tuli

Astrology Hindi, English Exp: 5+ Year

Share

Share this post with others

GDPR

When you visit any of our websites, it may store or retrieve information on your browser, mostly in the form of cookies. This information might be about you, your preferences or your device and is mostly used to make the site work as you expect it to. The information does not usually directly identify you, but it can give you a more personalized web experience. Because we respect your right to privacy, you can choose not to allow some types of cookies. Click on the different category headings to find out more and manage your preferences. Please note, that blocking some types of cookies may impact your experience of the site and the services we are able to offer.