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कांची देवगर्भा शक्तिपीठ: जहाँ माँ सती की दिव्यता और शांति का संगम होता है

Created by Asttrolok in Astrology 10 Oct 2025
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कांची देवगर्भा शक्तिपीठ: जहाँ माँ सती की दिव्यता और शांति का संगम होता है

भारत की धरती देवी शक्ति की उपासना से पवित्र मानी जाती है। हर राज्य, हर नगर में माँ शक्ति के विविध स्वरूपों की आराधना देखने को मिलती है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक है — कांची देवगर्भा शक्तिपीठ, जहाँ माँ सती की दिव्यता और शांति का अद्भुत संगम महसूस होता है। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन और ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना गया है।


कांची देवगर्भा शक्तिपीठ का इतिहास और पौराणिक कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब माँ सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण अग्नि में आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने शोक में सती के शरीर को उठा लिया और तांडव करने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया। जहाँ-जहाँ वे अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।

कांची देवगर्भा शक्तिपीठ, जो तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है, वही स्थान है जहाँ देवी सती का गर्भ (देवगर्भ) गिरा था। इस कारण इसे “देवगर्भा शक्तिपीठ” कहा जाता है। यहाँ माँ कामाक्षी देवी के रूप में पूजित हैं, जबकि भगवान शिव “कामेश्वर” के रूप में विराजमान हैं।

यह स्थान तीनों शक्तियों — महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती — का संगम स्थल माना गया है। माँ कामाक्षी का स्वरूप करुणा, ज्ञान और वैराग्य का प्रतीक है।


माँ कामाक्षी देवी की विशेषता और पूजा परंपरा 

कांची शक्तिपीठ का मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला और शांति के वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में माँ कामाक्षी की मूर्ति कमलासन पर विराजमान है, जो यह दर्शाती है कि भक्ति और प्रेम से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है।

यहाँ पूजा के दौरान त्रिपुरा सुंदरी मन्त्र, ललिता सहस्रनाम, और कामाक्षी स्तोत्र का पाठ किया जाता है। विशेष रूप से नवरात्रि, वसंत पंचमी, और शरद पूर्णिमा के अवसर पर लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं।

भक्तों का मानना है कि माँ कामाक्षी की आराधना करने से कालसर्प दोष के लक्षण शांत होते हैं और जीवन में संतुलन लौट आता है। जो व्यक्ति लगातार मानसिक तनाव, असफलता या निर्णयहीनता का अनुभव करता है, उसके लिए यह शक्तिपीठ आत्मशांति का सर्वोत्तम केंद्र है।


ज्योतिषीय दृष्टि से कांची शक्तिपीठ का महत्व 

ज्योतिष कहता है कि माँ कामाक्षी देवी उन लोगों के लिए विशेष रूप से कल्याणकारी हैं जिनकी कुंडली इन हिंदी में चंद्रमा या शुक्र कमजोर हो। ऐसी स्थिति में व्यक्ति भावनात्मक अस्थिरता, संबंधों में कठिनाई या आत्मविश्वास की कमी से जूझता है।

माँ कामाक्षी का ध्यान और पूजा इन ग्रहों की स्थिति को मजबूत करती है, जिससे प्रेम, करुणा और स्थिरता आती है।


इसके अलावा, जो लोग यह जानना चाहते हैं कि मेरी राशि क्या है, वे माँ कामाक्षी की आराधना के साथ अपनी राशि और ग्रहों के प्रभाव को बेहतर समझ सकते हैं।

जिनकी कुंडली में प्रेम विवाह योग है, उनके लिए यह शक्तिपीठ अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि माँ कामाक्षी को सौभाग्य और प्रेम की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है।


यदि आप अपने प्रेम संबंध या विवाह के समय को जानना चाहते हैं, तो ज्योतिष परामर्श से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

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कांची देवगर्भा शक्तिपीठ – दर्शन, परंपराएँ और अनुभव

कांचीपुरम में स्थित यह मंदिर हर दिन हजारों श्रद्धालुओं से भरा रहता है। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही एक गहन शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।


  • विशेष त्योहार: नवरात्रि, अक्षय तृतीया, मकर संक्रांति, और आदिपूरम।

  • भेंट सामग्री: कमल का फूल, हल्दी, चावल, और लाल चुनरी माँ को अर्पित की जाती है।

  • पारंपरिक मान्यता: जो व्यक्ति यहाँ 9 शुक्रवार लगातार माँ का दर्शन करता है, उसके जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

यहाँ के पुजारी बताते हैं कि माँ कामाक्षी देवी के दर्शन मात्र से व्यक्ति के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, और वह जीवन में नई शुरुआत के लिए प्रेरित होता है।


यात्रा गाइड – कैसे पहुँचें और क्या देखें

स्थान: कांचीपुरम, तमिलनाडु (चेन्नई से लगभग 70 किलोमीटर दूर)

कैसे पहुँचें:


  • रेल द्वारा: कांचीपुरम रेलवे स्टेशन दक्षिण रेलवे नेटवर्क से जुड़ा है।

  • हवाई मार्ग से: चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है।

  • सड़क मार्ग से: चेन्नई, वेल्लोर और मदुरै से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।

क्या देखें:


  • कामाक्षी अम्मन मंदिर – मुख्य गर्भगृह जहाँ माँ सती के गर्भ का प्रतीक स्वरूप विराजमान है।

  • कांची मठ – आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पवित्र स्थान।

  • एकाम्बरेश्वर मंदिर – पंचभूत स्थलों में से एक, जो पृथ्वी तत्व का प्रतीक है।

ट्रैवल टिप्स:


  • मंदिर में दर्शन के लिए सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक का समय सर्वोत्तम है।

  • भक्तों को हल्के रंग के कपड़े पहनने और ध्यान की मुद्रा में कुछ समय बैठने की सलाह दी जाती है।

  • यात्रा से पहले अपनी कुंडली इन हिंदी के अनुसार शुभ तिथि देखकर यात्रा आरंभ करें। 


आधुनिक जीवन में कांची शक्तिपीठ की प्रासंगिकता

आज के समय में जब व्यक्ति चिंता, असंतुलन और प्रतिस्पर्धा में उलझा है, माँ कामाक्षी की साधना जीवन में शांति और स्थिरता लाती है।


जो लोग अपने भविष्य के प्रति चिंतित हैं, उनके लिए यह स्थान एक प्रेरणा है — क्योंकि यहाँ आकर हर भक्त यह अनुभव करता है कि भविष्यफल कर्म और आस्था से बदल सकता है।

भले ही जीवन में कालसर्प दोष के लक्षण जैसे अवरोध हों, माँ की भक्ति उन्हें दूर करने में मदद करती है। माँ कामाक्षी यह सिखाती हैं कि सच्चा समाधान भीतर की शांति में है, बाहर की परिस्थितियों में नहीं।


निष्कर्ष – दिव्यता और शांति का संगम

कांची देवगर्भा शक्तिपीठ केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का स्थान है। यहाँ माँ सती की दिव्यता, माँ कामाक्षी की करुणा, और भगवान शिव की शांति एक साथ अनुभव की जा सकती है।

जो भी व्यक्ति इस शक्तिपीठ में आता है, वह जीवन की जटिलताओं से ऊपर उठकर अपने भीतर की देवी ऊर्जा को पहचानता है।


यहाँ माँ कामाक्षी यह संदेश देती हैं — “जो भीतर शांत है, वही सच्चे अर्थों में शक्तिशाली है।” 

यह भी पढ़ें: कालीघाट शक्तिपीठ: जहाँ माँ काली की उग्र शक्ति और सती की करुणा एक साथ महसूस होती है


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